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एसकेएस पावर की दौड़ में अडाणी, अंबानी, जिंदल

रायगढ़।अब एक और पावर प्लांट को अधिग्रहित करने की दौड़ शुरू हो गई है। दर्रामुड़ा स्थित एसकेएस पावर जेनरेशन के लिए देश के दिग्गज उद्योग समूह दावा ठोक रहे हैं। इसमें अडाणी ग्रुप, अंबानी समूह और जिंदल पावर प्रमुख हैं। इस बार एनटीपीसी ने भी बिड डाली है। कुल सात दावेदारों ने प्रपोजल प्रस्तुत किए हैं।

रायगढ़ और जांजगीर-चांपा की सीमा में स्थापित 600 मेगावॉट का एसकेएस पावर प्लांट भी अपना कर्ज नहीं चुका पाया। लगातार बढ़ते कर्ज के कारण मुनाफा घटता गया। बैंक ऑफ बड़ौदा और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के करीब 1875 करोड़ रुपए एसकेएस पावर पर बकाया हैं। बाकी ऑपरेशनल क्रेडिटर्स और कर्मचारियों का भुगतान मिलाकर बकाया राशि ढाई हजार करोड़ से भी अधिक है। कर्ज नहीं चुका पाने के बाद कंपनी को दिवालिया घोषित कर प्रकरण एनसीएलटी में दायर कर दिया गया था। रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल के जरिए कंपनी को नीलाम किया जा रहा है। एसकेएस पावर के लिए बोलियां आमंत्रित की गई थी।

मिली जानकारी के मुताबिक सात दिग्गज कंपनियों ने दावा ठोका है। इसमें मुकेश अंबानी के स्वामित्व वाली कंपनी रिलायंस, गौतम अडाणी की कंपनी अडाणी पावर, नवीन जिंदल की जिंदल पावर, सार्वजनिक उपक्रम एनटीपीसी, सारडा एनर्जी एंड मिनरल्स, टोरेंट पावर और सिंगापुर के वैंटेज प्वाइंट एसेट कंपनी ने बोली लगाई है। कहा जा रहा है कि मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज और गौतम अडाणी के अडाणी पावर के बीच एक और कारोबारी जंग होने जा रही है। फिलहाल एसकेएस पावर जेनेरेशन के संचालन का जिम्मा बैंकारें ने एनटीपीसी को दिया है। बैंक ऑफ बड़ौदा ने उचित खरीदार मिल जाने तक एनटीपीसी को इसे संभालने और मेंटेन रखने की जिम्मेदारी सौंपी है।

बैंकों का 1890 करोड़ रुपये का बकाया
एसकेएस पावर जेनरेशन पर सबसे ज्यादा बैंक ऑफ बड़ौदा का करीब 1740 करोड़ रुपए बकाया है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का भी 135 करोड़ का कर्ज बाकी है। इस तरह छग सरकार और केंद्र सरकार के एजेंसियों का भी करीब 430 करोड़ बकाया है जिसमें जीएसटी, कस्टम ड्यूटी आदि की राशि है। इसके अलावा 1400 करोड़ के अनसिक्योर्ड लोन और अन्य क्लेम रिजेक्ट भी कर दिए गए हैं। अब कंपनियों के बोलियों को वित्तीय मापदंडों पर परखा जाएगा। किसी को चुनने से पहले दावेदार कंपनियों से और डिटेल मांगी जा सकती है। इससे पहले भी डेडलाइन को 4 बार बढ़ाया जा चुका है।

कई कोल ट्रेडर्स और ट्रांसपोर्टरों की रकम फंसी
एसकेएस पावर जेनरेशन के पावर प्लांट को बैंक ऑफ बड़ौदा ने पिछले साल हांगकांग की लिस्टेड कंपनी एग्रीट्रेड रिसोर्सेज को वन टाइम सैटलमेंट के तहत सौंप दिया था। लेकिन यह कंपनी भी प्लांट नहीं चला पाई। इसके बाद कंपनी को बेचने के लिए बोली आमंत्रित की गई थी। कंपनी पर बकाया राशि में रायगढ़, रायपुर, बिलासपुर आदि के कई प्लांट, कोल वाशरी, ट्रेडर्स और ट्रांसपोर्टरों की राशि भी फंसी है। एसकेएस की नीलामी प्रक्रिया अब दिलचस्प हो चुकी है क्योंकि अंबानी-अडाणी आमने-सामने हैं।

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