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छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, भरण पोषण में असमर्थ महिला ससुर से कर सकती है खर्च की मांग…

निष्पक्ष’रायगढ़ की कलम_✍
(सैय्यद अमीर)
12/07/2022

बिलासपुर।अब तक ऐसा माना जाता रहा था कि शादी के बाद अगर महिला अपने भरण पोषण में असमर्थ है तो वो अपने पति से इसके लिए खर्च की मांग कर सकती है। तलाक के बाद ऐसा ही नियम है कि अलग होने पर महिला के घर का खर्च चलाने के लिए पति को ही पैसे देने पड़ते हैं। वहीँ पति की मृत्यु के बाद का क्या नियम है ये अब तक स्पष्ट महीन था।

लेकिन इस मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने कहा कि अगर हिन्दू विधवा भरण-पोषण में असमर्थ है तो उसे खर्च देने की जिम्मेदारी उसके ससुर की होगी। दरअसल कोरबा निवासी युवती का साल 2008 में जांजगीर के युवक से विवाह हुआ था। 2012 में उसके पति की मृत्यु हो गई। वहीँ बताया जा रहा है कि इसके बाद ससुर ने उसे घर से निकाल दिया था।

विधवा बहू ने अपने ससुर से भरण-पोषण का खर्च मांगते हुए कुटुंब न्यायालय जांजगीर-चाम्पा में याचिका लगाई थी। इस याचिका के खिलाफ उसके ससुर की ओर से भी हाईकोर्ट में याचिका लगाई गई थी। जिस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा है कि यदि विधवा महिला भरण पोषण में असमर्थ है तो वह ससुर पर दावा कर सकती है।


 
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Historic decision of Chhattisgarh High Court, women unable to maintain can demand expenses from father-in-law…

Bilaspur:- Till now it was believed that if a woman is unable to maintain herself after marriage, then she can demand expenses for it from her husband. After divorce, there is such a rule that in case of separation, the husband has to pay money to run the expenses of the woman’s household. At the same time, what is the rule after the death of the husband, it was clear till now.

But the Chhattisgarh High Court has given a big decision in this matter. The High Court said that if a Hindu widow is unable to maintain, then her father-in-law will be responsible for paying her expenses. In fact, a girl resident of Korba was married to a young man from Janjgir in the year 2008. Her husband died in 2012. It is being told that after this her father-in-law had thrown her out of the house.

The widowed daughter-in-law had filed a petition in the family court, Janjgir-Champa, seeking maintenance from her father-in-law. Against this petition, a petition was also filed in the High Court on behalf of his father-in-law. Hearing on which the High Court has said that if the widow woman is unable to maintain, then she can claim the father-in-law…


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