छत्तीसगढ़ी फिल्म निर्माता के खिलाफ कोर्ट के आदेश पर 420 का मामला हुआ दर्ज…
रायपुर। राजधानी में कोर्ट के आदेश पर छत्तीसगढ़ी फिल्म के जाने-माने निर्माता के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया है। मामलें में पीड़ित लखी चंद सुंदरानी ने बताया कि उनके द्वारा फिल्म निर्माता जेठू साहू को उनके द्वारा निर्मित फिल्म राधे अंगूठाछाप के लिए उनसे 2 लाख रुपए फिल्म वितरक्, तथा फीचर फिल्म एवं अन्य फिल्मों के वितरण का कार्य करते है। एग्रीमेंट बना हुआ था जिसे नोटरी भी कराया गया था। इस मामलें में फिल्म से संबंधित सभी सामग्री अमित जैन के पास है। जिसे आरोपी जेठू साहू ने अमित जैन के पास से पहले ही फिल्म के सभी दस्तावेज लेकर फरार हो गया था। जिसके बाद पीड़ित लखी सुंदरानी ने इस मामलें को लेकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और कुमारी गायत्री साय न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी की कोर्ट में उनके द्वारा इस मामलें में तत्काल धोखाधड़ी 420 का अपराध कायम करवाया है।
परिवादी मेसर्स वीडियो कर्ल्ड रायपुर छत्तीसगढ़ का प्रॉपराईटर, फिल्म वितरक्, तथा फीचर फिल्म एवं अन्य फिल्मों के वितरण का कार्य करते है तथा। अभियुक्त मैसर्स ओम शिव साईं फिल्मस का प्रोपराईंटर है और फिल्म निर्माण,/ निर्देशन का कार्य करता है। अभियुक्त ने परिवादी को अभियुक्त के बैनर तले निर्माण की गयी छत्तीसगढ़ फिल्म राधे अंगूठा छाप जिसके ऑडियो, वीडियो डिजीटल, फिजीकल, दूरदर्शन एवं सेटेलाईट के पूर्ण अधिकार विक्रय किया। एक इकरारनामा के पक्ष में निष्पादित किया और परिवादी से रूपये 200000 //- प्राप्त किये। उक्त इकरारनामा निष्पादन एवं रूपये प्राप्त करते समय दो गवाहों क॑ हस्ताक्षर कर इकरारनामा निष्वादित किया। उक्त इकरारनामा संपादित करते समय अभियुक्त ने परिवादी को बत्ताया कि उक्त फिल्म राधे अंगूठा छाप को समस्त सामग्री अमित जैन के पास है ही नहीं व पूरी सामग्री अभियुक्त पहले ही ले जा चुका है। अभियुक्त की नियत्त प्रास्म से ही परिवादी के साथ छल करने की।
रूपूर्ण सामग्री अभियुक्त ने पहले हीं ना चुका था उसके एवज में रूपये ने परिवादी से प्राप्त कर लिये और उसे की। प्रिवादी द्वारा उक्त सबंध में दिनांक 45-97-2090 को थाना मौदहापारा रायपुर में लिखित शिकायत की गयी परन्तु थात्ता मौदहापारा रायपुर द्वारा पुलिस हस्तक्षेप-अयोग्य अपराध कौ सूचता को परिवादीं को प्रदान कर द्विया गया। अभियुक्त द्वारा कूटरचित अनुक्च पत्र का निर्माण कर घोखाघड़ी, छल, कपट आपराधिक अमानत मैं खयानत एव स्वयं को सदोष आपराधिक लाभ पहुंचाकर परिठादी फर्म को आपराधिक सदौष हानि पहुंचाने का गंभीर अपराध किया गया है।
अत्त उक्त आधारों पर आवेदन स्वीकार कर आरोपी के द्वारा उक्त दण्डनीय अपराध दर्ज करना बताते हुए परिवाद स्वीकार किये जाने का निवेदन किया। उपरोक्त परिवाद पत्र एवं उसके साथ संलग्न दस्तावेज तथा परिवादी लखभीचंद सुदंरानी एवं परिवादी साक्षी कमलेश साहू, व अतीश कुमार मौर्य के कथनों से प्रकरण में अनावैदक् /अभियुक्त के विरूद्ध कूटरचित अनुबंध पत्र का निर्माण कर घोंखाघड़ी, छल, कपट करते हुये आपराधिक अमानत में खयानत एवं स्वयं को लाभ पहुंचाकर परिवादी फर्म को आपराधिक सदौष हानि पहुंचाने का गंभीर अपराध किया जाना प्रथम दृष्टया दर्शित होता है। अतः अंभियुक्त के विरूद्ध भारतीय दण्ड संहिता 4860 की धारा 420 के तहत अपराध पंजीबद्ध क्रिये जाने का पर्याप्त आधार विद्यमान होने से अभियुक्त के विरूद्ध उक्त धारा के तहत अपराध पंजीबद्ध किया जाता है।