छत्तीसगढ़बड़ी खबरेंरायगढ़

बड़ी खबर : कमीशन का खेल दो ढाई गुना अधिक कमीशन की मांग के आरोपों से घिरा रायगढ़ नगर निगम, ठेकेदारों में भी दिखा भारी असंतोष…

सूत्रों के अनुसार कमीशन की राशि बढ़ाने बकाया एवं रनिंग भुगतान पर अधिकारियों ने लगाई रोक..

◆ रायगढ़ नगर निगम में आयुक्त और कार्यपालन अभियंता की कार्यप्रणाली से ठेकेदारों में असंतोष…

अधोसंरचना मद अंतर्गत होने वाले कार्यों में पाँच प्रतिशत अग्रिम कमीशन की क्या है सच्चाई..?

◆ क्या रायगढ़ विधायक एवं मंत्री ओ पी चौधरी सुधार पायेंगे रायगढ़ नगर निगम की भ्रष्ट छवि. को ?

रायगढ़।कमीशन के लिए हमेशा से बदनाम रायगढ़ नगर निगम में फ़िलहाल हालात सही नजर नहीं आ रहे हैं। बताया जा रहा है कि इन दिनों निगम में अधिकारी राज अपने चरम पर है एवं कार्यपालन अभियंता पर आबंटित कार्यो को निरस्त किये जाने के साथ साथ बकाया बिलों के भुगतान के लिए पूर्व प्रचलित कमीशन की दर से दो ढाई गुने अधिक कमीशन की मांग के आरोपों के दबे से स्वर कुछ ठेकेदारों द्वारा उठाए जा रहे हैं कहा यह भी जा रहा है कि समूह में किये जाने वाले कार्यों को अधूरा बताकर कार्यादेश निरस्त करने ,रनिंग बिलों सहित बकाया भुगतान रोकने की धमकी दी जाकर अधिक कमीशन हेतु ब्लैकमेलिंग की जा रही है।सूत्रों के अनुसार विधानसभा चुनाव के पूर्व रायगढ़ के कथित विकास के लिए अधोसंरचना मद में  राशि आबंटन करवाने के नाम पर ठेकेदारों  से पाँच प्रतिशत कमीशन राशि अग्रिम ली गयी थी।यहाँ तक कि कॉंग्रेसी जनप्रतिनिधि जो ठेकेदारी भी करते हैं उन्हें भी नहीं बख्शा गया जिसका परिणाम विधानसभा चुनाव में कॉंग्रेस की करारी हार के रूप में सामने आया ।

क्या है पूरा मामला :- विधानसभा चुनाव हेतु लागू होने वाली आचार संहिता लगने के पूर्व आनन फानन में विभिन्न निर्माण कार्यो को शुरू करवाया गया फिर जो कार्य प्रगति में थे अथवा पूर्ण हो चुके थे उनके भुगतान के लिए अधोसंरचना मद में फण्ड उपलब्ध करवाने पाँच प्रतिशत की डिमाण्ड की गयी।

ठेकेदारों से अधोसरंचना मद में काम करवा लिया गया फिर भुगतान नहीं है बोलकर भुगतान के लिए अतिरिक्त एडवांस कमीशन माँगने का आरोप कार्यपालन अभियंता एवं निगम आयुक्त पर लगाया जा रहा है।

आपको बता दें कि इन बातों की पुष्टि हेतु कोई भी ठोस प्रमाण उपलब्ध नहीं कराए गए हैं वहीं संबंधित अधिकारियों से इस विषय में जानकारी लिए जाने हेतु कार्यालयीन अवधि में कार्यालय जाने पर नहीं मिलने एवं फ़ोन भी नहीं रिसीव किये जाने की दशा में उनका पक्ष नहीं जाना जा सका है, लेकिन सरकारी निर्माण एजेंसियों सहित नगरीय निकायों में भ्रष्टाचार आम बात है अतएव ये माना जा सकता है कि “बगैर आग के धुंआ नहीं उठता है साहब”।

Related Articles

Back to top button

You cannot copy content of this page