
बिलासपुर।छत्तीसगढ़ में प्राचार्य पदोन्नति का आदेश जारी करने पर हाईकोर्ट ने अगले आदेश तक रोक लगा दी है. चीफ जस्टिस ने सभी पक्षों को सुनने के बाद कहा कि सभी पक्षकार आवश्यक जानकारी सहित अपना पक्ष(रिज्वाइंडर) सबमिट कर दें.
प्राचार्य पदोन्नति आदेश पर सुनवाई: प्राचार्य पदोन्नति आदेश जारी करने पर चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा, जस्टिस रविन्द्र कुमार अग्रवाल की डिवीजन बेंच में बुधवार को सुनवाई हुई. प्राचार्य पदोन्नति के लिए बीएड की डिग्री को अनिवार्य किया जाए या नहीं, इस पर याचिकाकर्ता अखिलेश कुमार त्रिपाठी के अधिवक्ता और हस्तक्षेपकर्ता अधिवक्ता आलोक बख्शी ने अपना पक्ष रखा. वहीं शासन की ओर से अतिरिक्त महाअधिवक्ता यशवंत ठाकुर ने अपना पक्ष रखा.
बीएड डिग्री की अनिवार्यता पर फंसा पेंच:
याचिकाकर्ता व्याख्याता अखिलेश त्रिपाठी ने अपने वकील के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर कर लेक्चरर से प्रिंसिपल के पद पर पदोन्नति के लिए बीएड डिग्री की अनिवार्यता और बीएड डिग्रीधारक लेक्चरर को ही प्रिंसिपल के पद पर पदोन्नति देने की मांग की है. इस याचिका के बाद प्राचार्य पदोन्नति फोरम की ओर से व्याख्याता लूनकरण ठाकुर ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से हस्तक्षेप याचिका दायर की।
16 अप्रैल को अगली सुनवाई: हाईकोर्ट ने हस्तक्षेप याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है. याचिका में नियमों को लेकर जानकारी दी गई है. हस्तक्षेप याचिका में कहा है कि प्राचार्य प्रशासनिक पद, जबकि व्याख्याता शैक्षणिक पद है. अगली सुनवाई 16 अप्रैल को निर्धारित की गई है।