बिलासपुर।हाईकोर्ट ने छत्तीसगढ़ लोकसेवा आयोग सिविल जज मुख्य परीक्षा पैटर्न को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया है हाईकोर्ट ने कहा कि परीक्षा संचालन प्राधिकरण के विशेष अधिकार क्षेत्र में आता है सीजीपीएससी ने योग्य अभ्यर्थियों का ही चयन किया है साथ ही अभ्यर्थी को परीक्षा का पैटर्न जानने का अधिकार भी नहीं है।
जानकारी देते चलें कि छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग ने राज्य के विभिन्न जिला न्यायालयों में 49 पदों को भरने के लिए सिविल जज प्रवेश परीक्षा 2023 में आयोजित किया था परीक्षा परिणाम अक्टूबर 2024 में घोषित किया गया, साक्षात्कार के लिए 151 उम्मीदवारों को बुलाया गया,विरोध में अन्य अभ्यर्थियों ने याचिका पेश कर बताया कि उनकी उत्तर पुस्तिकाओं को मूल्यांकन से बाहर रखा गया था लोकसेवा आयोग ने अपने जवाब में कोर्ट को उम्मीदवारों को प्रश्नपत्र और उत्तर पुस्तिका में विस्तृत निर्देश दिए गए थे,स्थापित नियमों से कोई परिवर्तन नहीं हुआ है परीक्षा प्रक्रिया निर्धारित मानदंडों के अनुसार की गयी है।
बताते चलें कि अभ्यर्थियों की तरफ से अधिवक्ताओं ने हाईकोर्ट में सिविल सेवा जज परीक्षा की पैटर्न की जानकारी को लेकर याचिका दायर किया था मामले में सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने अभ्यर्थियों के अधिवक्ताओंं के सभी तर्क को खारिज किया हाईकोर्ट ने कहा कि परीक्षा पैटर्न को अधिसूचित करने की कोई आवश्यकता नहीं थी अभ्यर्थियों को केवल पाठ्यक्रम जानने का अधिकार था। मुख्य परीक्षा का पैटर्न और पूछे जाने वाले सवाल निकाय के विशेष अधिकार क्षेत्र में आता है हाईकोर्ट ने तर्क को खारिज कर दिया कि परीक्षा के दौरान भ्रम की स्थिति रही लोकसेवा आयोगि ने उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन नहीं किया इसलिए परीक्षा को निरस्त किया जाए। कोर्ट ने जोर देते हुए कहा कि याचिकाकर्ताओं को उत्तर लिखने से पहले निर्देशों को ध्यान से पढ़ना चाहिए था।
दोनों पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने जोर देते हुए कहा कि याचिकाकर्ताओं को उत्तर लिखने से पहले निर्देशों का ध्यान से पढ़ना चाहिए था याचिका खारिज करते हुए कोर्ट ने इंकार किया कि भर्ती नियमों को बीच में बदला गया है न्यायालय ने फैसला सुनाया कि मूल्यांकन पैटर्न सीजीपीएससी के विवेक और मूल विज्ञापन के अनुरूप भी था। प्रक्रिया का उद्देश्य सबसे उपयुक्त उम्मीदवारों का चयन करना है। सीजीपीएससी को इसमें सफलता मिली है। उम्मीदवार उचित स्थान पर प्रश्नों का जवाब नहीं दिए। ऐसे में उन्हें सिविल जज के पद के लिए उपयुक्त नहीं माना जा सकता है।