
रायपुर।छत्तीसगढ़ में पिछले तीन कार्यकाल (15 वर्षों में) भाजपा, कांग्रेस और भाजपा की सरकार बन गई है. लेकिन राजधानी रायपुर में ऐसे 20 से अधिक धाकड़ पटवारी है जो करीब 5 साल से करीब दो दशक तक यही रायपुर तहसील में जमे हुए है. या यू कहे कि ये अधिकारियों के इतने खास हो गए है कि सरकार किसी की भी हो, लेकिन उनका तबादला बड़ी मुश्किल से एक हल्के से दूसरे हल्के में होता है और यदि गलती से आस-पास की तहसीलों में यदि उनका तबदला हो भी जाए तो वो वापस चंद महीनों में ही रायपुर तहसील वापस लौट आते है. इनमें से तो कुछ ऐसे है जो दूसरे पटवारियों की भी समस्या का समाधान करते है. जैसे कि कोई शिकायत का समाधान कराना हो, या अधिकारियों द्वारा दी जाने वाली नोटिस का. वे संघ की आड़ में अपना और अन्य पटवारियों की भी मदद करने के लिए जाने जाते
◆ इनकी चल-अंचल संपत्ति उसकी कोई भी जानकारी विभाग के पास नहीं…
हैरानी की बात ये है कि रायपुर में वर्षों से जमे पटवारियों के पास कितनी चल-अंचल संपत्ति है उसकी कोई भी जानकारी विभाग के पास नहीं है. वैसे तो पटवारी दूसरो का रिकार्ड अपडेट करते है. लेकिन इनका रिकार्ड अपडेट करने में किसी भी अधिकारी की दिलचस्पी नहीं है. जैसे किसी भी तहसील ऑफिस में ये बोर्ड नहीं लगा है कि वहां वे कितने वर्षों से पदस्थ है. तमाम शासकीय कर्मचारी को अपनी संपत्ति की जानकारी शासन को देनी होती है, लेकिन पटवारियों के पास कितनी संपत्ति है इसका रिकार्ड शासन के पास नहीं है. यही कारण है कि रायपुर तहसील में ही नौकरी करने वाले तमाम पटवारियों के पास राजधानी रायपुर के पॉश कॉलोनियों में करोड़ों के बंगले और रिश्तेदारों के नाम पर प्रॉपर्टी मौजूद है.
◆ ये है रायपुर तहसील में वर्षों से पदस्थ पटवारी…
देवेंद्र वर्मा
प्रशांत सोनी
बृजमोहन मिश्रा
आरसी जोशी
भूमिका जैन
मनीष साहू
सुदर्शन पनका
हरिराम भोई
कमलेश तिवारी
श्वेता वैष्णव
मोहन पटेल
लोकेश साहू
नीरज प्रताप सिंह
नरेंद्र पाण्डे
विरेंद्र झा
हुकुम प्रसाद शर्मा
बलराम ध्रुव
कुष्ण कुमार चुतुर्वेदी ( राजस्व मंडल, रायपुर)
नरेश ठाकुर
शिवकुमार साहू
नरेश साहू
◆ क्या कहना है …इनका…
समय-समय पर जो शासकीय गाइडलाइन आती है उसके मुताबिक पटवारियों के हल्के बदले जाते है. अभी कोई नई गाइडलाइन नहीं आई है।
पवन कोसमा, रायपुर तहसीलदार