
बलरामपुर। छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले में टीआई समेत तीन पुलिस कर्मियों को सस्पेंड किए जाने की खबर है। जिससे विभाग में हड़कंप है,पुलिस विभाग की छवि को धूमिल करने वाली एक बड़ी घटना के बाद प्रशासन ने यह कदम उठाया है
जिले के थाना प्रभारी ललित यादव प्रधान आरक्षक विष्णुकांत मिश्रा और प्रधान आरक्षक प्रांजूल कश्यप को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर लाइन अटैच कर दिया गया है।
इन पर वरिष्ठ अधिकारियों की अनुमति के बिना पश्चिम बंगाल के आसनसोल (Asansol) जाने और वहां “अनर्गल क्रियाकलापों” में शामिल होने के गंभीर आरोप लगे हैं।
बलरामपुर पुलिस अधीक्षक (SP) वैभव बैंकर ने इस मामले की पुष्टि की है।
उन्होंने बताया कि निरीक्षक ललित यादव ने विभाग को सूचित किए बिना अपने अधीनस्थ प्रधान आरक्षकों को आसनसोल भेजा था
वहीं, प्रधान आरक्षक विष्णुकांत मिश्रा और प्रांजूल कश्यप ने भी बिना विभागीय स्वीकृति के राज्य की सीमा पार की।
इस पूरी कार्रवाई को विभागीय नियमों और सेवा अनुशासन का गंभीर उल्लंघन माना गया है।
सूत्रों के अनुसार, जब वरिष्ठ अधिकारियों को इस अस्वीकृत यात्रा की जानकारी मिली, तो तत्काल उनसे स्पष्टीकरण मांगा गया।
परंतु, तीनों अधिकारियों द्वारा दिए गए उत्तर संतोषजनक नहीं पाए गए।
इसके परिणामस्वरूप, अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए तीनों को निलंबित कर दिया गया।
एसपी कार्यालय द्वारा जारी आदेश में स्पष्ट कहा गया है कि “राज्य की सीमा बिना अनुमति पार करना, विभागीय नियमों और सेवा अनुशासन का स्पष्ट उल्लंघन है।”
इस मामले को गंभीर अनुशासनहीनता मानते हुए त्वरित निलंबन की कार्रवाई की गई है
आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि भविष्य में इस प्रकार की चूक किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
इस कार्रवाई के बाद पूरे बलरामपुर जिले के पुलिस महकमे में हड़कंप की स्थिति है।
विभागीय सूत्रों के अनुसार, एसपी वैभव बैंकर ने सभी पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों को चेतावनी दी है कि वे अपनी ड्यूटी, जिम्मेदारियों और कार्यक्षेत्र को लेकर पूर्ण अनुशासन का पालन करें।
आदेश में यह भी कहा गया है कि कार्यस्थल छोड़ने या राज्य की सीमा पार करने जैसी कोई भी गतिविधि केवल उच्च अधिकारियों की पूर्व अनुमति से ही की जाए।
पुलिस विभाग जैसे अनुशासित संगठन में इस प्रकार की घटनाएं न केवल कार्यसंस्कृति को प्रभावित करती हैं, बल्कि जनता के बीच पुलिस की साख को भी कमजोर करती हैं।
बलरामपुर एसपी की इस सख्ती को अब पूरे प्रदेश में एक मिसाल के तौर पर देखा जा रहा है, जिससे साफ संकेत गया है कि विभागीय अनुशासन से किसी भी स्तर पर समझौता नहीं किया जाएगा।