
जांगिड़ ने बताया कि SIR प्रक्रिया में हुए बदलावों पर कांग्रेस सतर्क है और 4 दिसंबर तक होने वाले संपादन-प्रकाशन चरण पर पार्टी गहन निगरानी रखेगी। उनका कहना था कि जहां आयोग ने सीमित जोड़ने–काटने की संख्या बताई, वहीं वास्तविकता में बड़ा भेदाभाव दिखा — और यही पैटर्न अब राज्य में दोहराने का प्रयास बताया जा रहा है।
ग्रामीण क्षेत्रों से उठ रही मुख्य समस्याओं में पुराने 2003 मतदाता रिकॉर्ड का फील्ड-लेवल पर मौजूद होना और परिसीमन के बाद पहचाने हुए मतदाताओं का भ्रम शामिल है। ग्रामीण नेतृत्व का कहना है कि 2003 की सूची पर निर्भरता से लोगों के नाम ढूँढने में भारी दिक्कत हो रही है और इससे सत्यापन प्रक्रिया प्रभावित हो रही है।
शहरी इलाकों में 245 बीएलए तैनात कर दिए गए हैं और प्रशिक्षण पूरा माना जा रहा है, फिर भी शिकायतों की रफ़्तार बनी हुई है। विधायकों ने फॉर्म की कमी, पलायन के चलते किसानों की अनुपस्थिति और अंतिम तिथि बढ़ाने की अपील उठाई है — विशेषकर उन इलाकों में जहां धान कटाई व गणना संबंधी काम जारी है।
कांग्रेस की बैठक में यह निर्णायक संदेश गया कि SIR सिर्फ प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं; यदि संशोधन पारदर्शी नहीं हुआ तो वह चुनावी इंजीनियरिंग का जरिया बन सकता है। बैठक में कहा गया कि दावा–आपत्ति और प्रकाशन के हर चरण पर पार्टी सक्रिय रहेगी और फील्ड से उठने वाली हर शिकायत का रिकॉर्ड रखा जाएगा।




