छत्तीसगढ़लेख

CG News : जनता की खुसुर फुसुर….

ज़ाकिर घुरसेना की कलम से_

◆ काम कुछ नहीं फुर्सत घडी का नहीं :-

सरकारी महकमे में जब तक मलाईदार पद रहता है तब तक तो अधिकारी को काम में आनंद आता है लेकिन जैसे ही मलाईदार पद से हटे नहीं कि काम से मन उखड जाता है,पिछले दिनों मंत्रालय में एक अधिकारी का वाकेया ये था कि जब तक मलाई खा रहे थे तब तक विभाग और काम बहुत अच्छा लग रहा था लेकिन लूप लाइन में जाने के बाद उनका रवैया ही बदला बदला नज़र आने लगा,कहने लगे यार अब काम करने की इच्छा नहीं है बहुत काम कर लिए, अभी सुनने में आया है कि कुछ दिन बाद उक्त अधिकारी रिटायर होने वाले हैं पता चला है कि संघ की शाखा में नियमित जाने लगे हैं और तो और फिर से संविदा नियुक्ति के लिए आजमाइश भी करने की जानकारी लग रही है,जनता में खुसुर फुसुर है कि मलाई खाना किसे अच्छा नहीं लगता।

चर्चा करें, खर्चा करें :-

मंत्रालय की ही बात करें तो दिन भर में कई पेज का समाचार बैठे बैठे ही मिल जायेगा,एक साहब के पास बैठा था,उनके मातहत एक फाइल लेकर आया और कहने लगा कि साहब इस फाइल को अच्छे से देखना है। समझदार के लिए इशारा काफी होता है। मैंने कौतूहलवश पूछ लिया कि ये अच्छे से देखना का क्या मतलब,उनका जवाब सुनकर मै दंग रह गया, उनका कहना था कि फाइल में चर्चा करें लिख दो फिर फाइल पंद्रह से बीस दिन के लिए पेंडिंग, यही अच्छे से देखना होता है। जनता में खुसुर फुसुर है कि ताली दोनों हाथ से बजती है यानी चर्चा न करने के लिए खर्चा करें।

साहब बिज़ी हैं :-

मंत्रालय में कई तरह के अधिकारी पाए जाते हैं। कुछ काम को पेंडिंग नहीं रखना चाहते और कुछ को पेंडिग करने में मजा आता है। हर का अपना अलग लॉजिक होता है कुछ अधिकारियों का कहना है की आसानी से फाइल साइन करने से लोग और उच्च अधिकारी महत्ता कम आंकते हैं और दो चार दिन पेंडिंग रखने के बाद भेजने से उन्हें लगता है कि नीचे के अधिकारी ने फाइल को पूरी तरह से पढ़कर जाँच परख कर आगे भेजा है, इससे वजन बढ़ता है,साथ ही महत्वपूर्ण बात ये होती है की गाहेबगाहे कोई भी मिलने पहुंच जाता है उसको दफ्तरी बाहर से ही चलता कर देता है या बाहर बिठाये रखता है ये कहकर कि अभी साहब बिज़ी हैं ,भले काम कुछ न हो,जनता में खुसुर फुसुर है कि हर इंसान अपना महत्ता बनाये रखना चाहता है।

◆ काम करो जो सब जाने :-

जीवन में ऐसे में ऐसे कई वाक़ेया आते हैं जो लोगों के लिए मिसाल भी बन जाती है और इंसान अपने कृत्य से रातोरात सुर्खियां भी बटोर लेता है,पिछले दिनों महावीर जयंती के अवसर पर जैन समाज का शोभायात्रा, जुलुस निकला था। इस दौरान पानी बचाने सकोरे बांटे गए और मुख्य बात ये रही कि जुलुस में प्लास्टिक पूरी तरह से बैन रही किसी भी तरह से प्लास्टिक यूज़ नहीं किया गया जिसकी सर्वत्र तारीफ हो रही है,जनता में खुसुर फुसुर है कि पर्यावरण संरक्षण के लिए ऐसा प्रयोग हर समाज को करना चाहिए।

◆ सबका दिन आता है :-

जब से चुनाव तिथि घोषित हुई है आम जनता खासकर गरीब और कामदार लोगों की निकल पड़ी है,अभी वे इतने व्यस्त हो गए हैं की उन्हें दो या तीन शिफ्ट में काम करना पड़ रहा है और भुगतान भी नगद,मामला ये है कि अभी चुनाव प्रचार जोरों पर है और नेताओं के लगातार आगमन को देखते हुए भीड़ बढ़ाना बीच के नेताओ के लिए जरुरी हो गया है। ऐसे में वे सभा में भीड़ बढाने के लिए और माहौल बनाने के लिए इन लोगों को नगद देकर जिंदाबाद मुर्दाबाद के नारे लगवाते हैं,लोगों का कहना है कि घर में हर पार्टी का झंडा और पट्टा जिधर का बुलावा आया उस पार्टी का पट्टा गले में डालकर और झंडा लेकर निकल पड़ते हैं। जनता में खुसुर फुसुर है कि देखा जाये तो ये नेताओं से ज्यादा बिज़ी हो गए है,खैर सबका दिन आता है।

बड़ी बोल न बोलें :-

कहते हैं कभी नाव में गाड़ी तो कभी गाडी में नाव। पिछले पंद्रह साल तक जिस अफसर की तूती बोलती थी वो पांच सालों में कोर्ट कचहरी में उलझे रहे और पिछले पांच सालों जिनकी बादशाहत कायम रही वो अब जेल के सीखचों में हैं,कुछ महीने पहले की बात है एक अधिकारी यह कहते नहीं थकते थे कि उन्हें कोई एक दिन के लिए भी जेल भेज नहीं सकता। समय चक्र घूमा और सुप्रीम कोर्ट से मामला ख़ारिज होने के बाद फुले नहीं समां रहे थे लेकिन ये ख़ुशी कुछ ही दिनों में काफूर हो गई जब ईडी ने बयान देने के लिए बुलाया और कर लिया गिरफ्तार और भेज दिया सीधे जेल,अब देखना है किसी किस पर गाज गिरने वाली है।

पाप का घड़ा भरता जरूर है :-

रातोंरात हाईलाइट होने वाले अशोका बिरयानी के संचालक अर्श से सीधे फर्श पर आ गए,कांग्रेस के कुछ छुटभैये नेताओं, अधिकारियों के क्षत्रछाया में रहकर खूब मनमर्जी चलाया,एक वक्त में कोई इनके खिलाफ बोलने वाला नहीं था,अक्सर नवरात्रि में बिरयानी की दुकाने बंद होने की कागार पर होती थी उस समय ये फलफूल रहे थे,अचानक इनका सितारा गर्दिश में आया और सीधा पत्रकार रूपी धूमकेतु से टकरा गया,और पत्रकारों पर हाथ छोड़ दिया फिर क्या पत्रकारों ने एकजुटता का परिचय देते हुए ऐसा बट्टा लगाया कि इनके चारो खाने चित हो गया छुटभैये और अधिकारी भी सामने नहीं आया आखिर धूमकेतु से जो टकराया था।

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