छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ लड़कियां भी ड्रग्स की चपेट में आ रही है

गांजे की तस्करी लगातार जारी..

रायपुर। राजधानी में पुरुषों के बाद लड़कियां भी इस कदर ड्रग्स की चपेट में हैं कि इसके लिए वे अपनी देह बेचने पर मजबूर हैं। ऐसी खबरें सोशल मीडिया पर यदाकदा वीडियो भी वायरल होते रहता है। वीआईपी रोड, रिंग रोड नंबर-1-2 के आसपास के होटलों में रात 10 बजे के बाद नशेडिय़ों का जमावड़ा शुरू होता है। इस भीड़ को इंतजार रहता है ड्रग-गांजा सप्लायरों का। सप्लायर के आते ही पैसा देकर पुडिय़ा लेकर अपने-अपने ठिकाने में निकल पड़ते है। यह सिलसिला हर रात को देखा जा सकता है। होटलों के अंधेरे कोने में जोड़े से बैठे नशेड़ी झूमते हुए कश पर कश उड़ाते रहते है। जिनके पास पैसे नहीं होते और नशे की तलब में ग्राहक की तलाश कर देह व्यापार कर नशे की तलब को शांत करते है। राजधानी के बड़े-बड़े होटलों में ड्रग और गांजा की सप्लाई को पुलिस भी नहीं रोक पा रही है। गांजा तस्करों ने वीआीपी रोड, टाटीबंध, मोवा, सड्डू, कबीर नगर, हीरापुर जरवाय, तेलीबांधा गुढिय़ारी में डंपिंग सेंटर बना रखा है जहां उड़ीसा से गांजा लाकर रायपुर में स्टाक कर धीरे-धीरे दूसरे राज्यों में सप्लाई का चेन नेेटवर्क बना रखा है।

बेल डांस के नाम पर नंगा नाच होटलों और बारों में

रात के अंधेरे में विदेशी लड़कियों का बेले डांस के नाम पर नंगा नाच चल रहा है। होटलों में लड़के-लड़कियों को आसानी से गांजा और ड्रग मिल जाता है उसके बाद नशे में झूमते हुए बेले डांस में अलमस्त हो जाती है। जो हर रोज देर रात तक चलता है। राजधानी में युवाओं में बेले डांस का क्रेज को देखते हुए होटल वाले विदेशी नर्तकियों को बुलाते और युवाओं को सोशल मीडिया के माध्यम से आमंत्रित करते है।

ओडि़सा है भारी मात्रा में सबसे बड़ा गांजा उत्पादक

देशभर में खपने वाले गांजे की आपूर्ति ओडिशा के नक्सल प्रभावित गांवों से होती है। ओडिशा के करीब 7 जिलों में गांजे की खेती हो रही है। यहां जिला मुख्यालय से करीब 70 किमी से दूर पहाड़ी इलाके चित्रकोंडा और उसके आसपास के गांवों में बड़ी मात्रा में गांजे की खेती की जा रही है। चित्रकोंडा में भास्कर की टीम को पता चला कि इससे सटे फूलपदर, सालपदर, लामसिंग, बंधमुड़ी, राजलकोंडा, हाथीपदर, बडपुत, पीओरमेटला, जोनताबाई सहित अन्य गांवों में गांजे की खेती की जाती है। तस्करी के अलग-अलग तरीके ओडिशा और आंध्रप्रदेश से गांजा तस्करी सड़क और रेल मार्ग से हो रही है। बस्तर में 90 फीसदी मामलों में तस्करों का गिरोह सक्रिय है। पकड़े जाने के डर से तस्कर पहले लग्जरी कार में गांजा लेने आते थे, अब सीधा ट्रकों में आते हैं। ट्रेनें बंद हुईं तो सड़कों से गांजा तस्करी ओडिशा और आंध्रप्रदेश से 2020 से गांजा तस्करी के मामले एकाएक सामने आने लगे हैं। इसका कारण ये है कि अब तस्कर पकड़े जाने लगे हैं, इसलिए तस्करी साफ नजर आ रही है।

ओडिशा और आंध्रप्रदेश से गांजा तस्करी के सिलसिला जारी है। जिन रूटों पर ट्रेनों के फेरे कम होते थे, वहां ही तस्कर लग्जरी गाडिय़ां लेकर आते थे और कम मात्रा में गांजा लेकर राजधानी आकर डंप कर बाद में धीरे-धीरे खपाते है। बसना पुलिस ने कार के ऊपरी हिस्से में बने चेंबर,से 60 किलो गांजा जब्त किया। 19 जुलाई को कोमाखान पुलिस ने महाराष्ट्र की एक पिकअप वाहन से आलू और पत्तागोभी से लदी बोरियों के नीचे छिपाकर ले जा रहे। 7 क्विंटल गांजा के साथ एक आरोपी को पकड़ा। दशरंगपुर पुलिस ने 1.59 क्विंटल गांजा के साथ दो आरोपियों को गिरफ्तार किया था। ये पिकअप में बने गुप्त चेंबर में गांजा छिपाकर मेरठ ले जा रहे थे।

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