छत्तीसगढ़

नोबेल शांति पुरस्कार के लिए रायगढ़ के पूर्व कलेक्टर नामित, पूर्व भारतीय मानवाधिकार एक्टिविस्ट व पूर्व IAS हर्ष मंदर के नेतृत्व वाले संगठन कारवां- ए-मोहब्बत’ ने इस सूची में जगह बनाई

रायपुर। पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट ओस्लो के निदेशकों ने नोबेल शांति पुरस्कार समिति को अपनी व्यक्तिगत सिफारिशें दी है। भारतीय मानवाधिकार एक्टिविस्ट और पूर्व IAS हर्ष मंदर के नेतृत्व वाले संगठन कारवां- ए-मोहब्बत’ ने इस सूची में जगह बनाई है। पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट की समिति के वर्तमान निदेशक हेनरिक उरदल ने उनके नाम का प्रस्ताव रखा। पुरस्कार की घोषणा 10 अक्टूबर को होगी। भारत में हिंदू-मुस्लिम सद्भाव के लिए लंबे समय से काम कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता और भूतपूर्व IAS हर्षमंदर का नाम नोबेल शांति परस्कार ओस्लो’ के लिए नामित किया। प्रस्तावित नामों (और संगठनों की सूची में धार्मिक उग्रवाद से लड़ने और अंतर्धार्मिक संवाद को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण योगदान देने में उनके योगदान का ध्यान रखा गया। इसमें हर्ष मंदर का संगठन भी शामिल हैं। पूर्व आईएएस हर्षमंदर भारत में सांप्रदायिक नफरत को खत्म करने के लिए लंबे समय से काम कर रहे हैं।

हर्ष मंदर मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में IAS अफसर रहे हैं। उन्होंने मध्यप्रदेश के खरगोन जिले में कलेक्टर रहने दौरान काफी काम किया। इस इलाके के आदिवासियों में आज भी हर्षमंदर के कामकाज की यादें मौजूद है। वे छत्तीसगढ़ के भी कुछ जिलों में कलेक्टर रहे हैं। इसमें एमपी के अविभाजीत रायगढ़ जिला सबसे खास रहा। उनके कामकाज करने के तरीकेे से रायगढ़ की जनता काफी प्रभावित थी। आप इस बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि जब उनका अविभाजीत एमपी सरकार ने ट्रांसफर किया तो उनका तबादला रूकवाने के लिए पूरा जिला बंद हुआ था।

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