छत्तीसगढ़

सहायक शिक्षक की भर्ती प्रकिया को लेकर लगी सभी याचिकाओं को निरस्त किया हाईकोर्ट ने

बिलासपुर।उच्च न्यायालय ने बारहवीं व स्नातक में 50 प्रतिशत अंको की न्यूनतम योग्यता को सही माना हैं। संविधान के अनुच्छेद 309 के तहत राज्य सरकार द्वारा बनाये गए नियमों को बंधनकारी बताते हुए हाईकोर्ट ने याचिकाओं को निरस्त कर दिया है।राज्य सरकार के द्वारा व्यापम के माध्यम से भर्ती करने के लिए 2019 में विज्ञापन जारी किया था। इसमें बीएड व टैट के साथ बारहवीं व ग्रेजुएशन में 50 प्रतिशत न्यूनतम अंको के साथ पास होने की अनिवार्यता रखी गई थी। परीक्षा में नमिता दीवान समेत अन्य याचिकाकर्ता शामिल हुए थे।

जिसमें उन्होंने स्थान पाया था। पर दस्तावेज परीक्षण के समय उन्हें बारहवीं व स्नातक में 50 प्रतिशत अंक नही होने के चलते अयोग्य ठहरा दिया गया था। जिस पर उन्होंने अलग अलग याचिकाएं अदालत में पेश की थी। जिसमे उन्होंने यह बताया था कि उनके द्वारा बीएड पास कर टैट क्वालीफाई किया गया है। इसके साथ ही उन्होंने व्यापम की परीक्षा में भी मेरिट में स्थान लाया हैं। लिहाजा उन्हें बारहवीं व ग्रेजुएशन में 50 प्रतिशत के नियम को शिथिल कर अन्य आधारों पर नियुक्ति प्रदान की जानी चाहिए।

जस्टिस की सिंगल बैंच में याचिका की सुनवाई हुई। जिसमें हाईकोर्ट ने कहा कि शासन ने पहले ही गुणवत्ता पूर्ण शिक्षको की जरूरत बताई हैं। जो न्यूनतम योग्यता के नियम बनाएं गए हैं उन्हें चुनौती नही दी जा सकती। शासन के बनाये गए नियम उचित है। न्यूनतम योग्यता में छूट नही दी जा सकती। संविधान के बनाये गए नियम बंधनकारी होते हैं। इसके साथ ही इस संबंध में लगी सारी याचिकाएं खारिज कर दी।

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