एक बार फिर वन विभाग की साठगांठ में हो गई अवैध कटाई…जवाब देने में रायगढ़ रेंजर सहित वनमंडलाधिकारी का हरियाली के प्रति दिखा असंवेदनशील रवैया..
निजी भूमि में प्राकृतिक रूप से उगे वृक्षों की कटाई में की गयी वन अधिनियम की अनदेखी…
स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार सड़क किनारे लगे प्रतिबंधित प्रजाति में शामिल अर्जुन सहित कहवा, नीम, इमली इत्यादि दर्जनों हरेभरे वृक्षों को भी काट डाला…
संशोधित वन अधिनियम के अनुसार एक वित्तीय वर्ष में प्रति एकड़ प्राकृतिक रूप से उगे मात्र 4 वृक्ष एवं ढाई एकड़ से अधिक भूमि होने पर भी अधिकतम 10 वृक्षों को ही काटने दी जा सकती है अनुमति …
पेड़ हमारी आने वाली पीढ़ी के लिए धरोहर हैं- रायगढ़ कलेक्टर तारण प्रकाश सिन्हा …
रायगढ़।जामगांव मुख्य मार्ग के मध्य से मात्र 5 मीटर के अन्दर में स्थित सड़क मद की भूमि पर स्थित पेडों को भी काट दिया वनविभाग रायगढ़ ने…
रायगढ़। इस वनमंडल में ही वनों की अवैध कटाई ,वन्य जीवों के शिकार एवं असामयिक मृत्यु से लेकर निर्माण में प्रमाणित भ्रष्टाचार के अनेकों मामले लगातार हो रहे हैं।इन मामलों के उजागर होने के बाद भी दोषी कर्मचारियों अधिकारियों पर कार्यवाही न होने से मनमानी चरम पर पहुंच चुकी है। अभी ऐसा ही एक मामला प्रकाश में आया है जिसमें राजस्व भूमि पर स्थित प्राकृतिक रूप से उगे हरेभरे वृक्षों की नियम विरुद्ध कटाई की गई है।हैरत की बात तो तब हुई जब मौके पर पहुंचे पर्यावरण के प्रति जागरूक पत्रकारों ने अवैधानिक रूप से काटे गए और परिवहित किये जा रहे वृक्षों के संबंध में वन परिक्षेत्राधिकारी से जानकारी लेनी चाही तो उन्होंने इसे गोल मोल जवाब देकर टालने की कोशिश की और बाद में पूरा मामला समझ जानकारी देने की बात कही,हालाँकि बाद में उनके द्वारा फ़ोन उठाना ही बंद कर दिया गया।
तत्पश्चात वनमंडलाधिकारी स्टाइलो मंडावी को फ़ोन पर
अवैध रूप से वृक्षों की कटाई की जानकारी देने पर उन्होंने इसे राजस्व विभाग का मामला बता पल्ला झाड़ लिया।सवाल यह उठता है कि जब राजस्व भूमि पर स्थित पेडों की कटाई के लिए भी वन विभाग से अभिमत लिया जाना जरूरी होता है तत्पश्चात ही एसडीएम के द्वारा पेड़ों की कटाई के लिये भूस्वामी को अनुमति प्रदान की जाती है तो फिर इस प्रकार की प्रक्रिया में वन विभाग अवैधानिक रूप से वृक्षों की कटाई पर कार्यवाही क्यों नहीं कर सकता जबकि कटे हुए वृक्षों को मालिक मकबूजा के तहत वनविभाग द्वारा ही उठा कर डिपो ले जाने और विक्रय के बाद भू स्वामी को गणना के अनुसार राशि प्रदान किये जाने का प्रावधान है।हालिया मामले में भूस्वामी को अवैध रूप से लाभ पहुंचाने वन विभाग के कर्मचारियों ने सड़क किनारे लगे वृक्षों को भी काटने की अनुमति प्राप्त है बताते हुए काट डाला यही नहीं काटे जाने के लिए प्रतिबंधित प्रजाति के अर्जुन पेड़ को भी काट दिया।
इस सम्पूर्ण मामले की जानकारी वनमंडलाधिकारी स्टाइलो मण्डावी को देने पर उन्होंने इसे राजस्व विभाग का मामला बताते हुए पल्ला झाड़ लिया और कार्रवाई के लिए राजस्व विभाग के अधिकारियों को ही सक्षम बताया जबकि यह स्पष्ट है कि राजस्व विभाग बगैर वन विभाग के जाँच प्रतिवेदन और अभिमत के पेड़ कटाई की अनुमति नहीं दे सकता।
इसी तारतम्य में रायगढ़ दर्पण एवं रायगढ़ की कलम के संवाददाता ने जब मौके पर जाकर इसका पूरा जायजा लिया तो कहानी कुछ और ही निकली तथा मौके पर वनरक्षक लाखन सिदार से इन पेड़ों के संबंध में बातचीत करनी चाही तो वो भी आला अधिकारियों का हवाला देकर वहां से बचके भागते नजर आए जिससे यह स्पष्ट होता है की जिनको वन सपंदा की रक्षा करनी चाहिए वो ही इसे नुकसान पहुंचा रहे है एवं अधिनियम की खुलकर धज्जियां उड़ा रहे है।
वर्जन :-
आपको यह भी बता दे की इस विषय को लेकर उक्त गांव पंडरीपानी पूर्व के उप सरपंच शरीफ खान का कहना है की पेड़ कटाई के सम्बंध में ग्राम पंचायत से इनके द्वारा किसी भी प्रकार से अनुमति नही ली गई थी जबकि इसकी अनुमति ग्राम पंचायत से भी ली जाती है,जब इसकी जानकारी ग्राम पंचायत ने मांगी तो उनके द्वारा हमें भी वन विभाग का हवाला दिया गया और गुमराह किया गया .. काटे गए उन हरेभरे वृक्षों से महज 300 सौ मीटर की दूरी पर प्रशासन के द्वारा एक तरफ ऑक्सिजोन निर्माण किया गया है, तो वही वन विभाग नियमों की दुहाई देकर दूसरी ओर पेड़ों को धड़ल्ले से कटवा रही है ये किस तरह का तमाशा हो रहा है यहां पर ।
फिलहाल इसी पूरी कड़ी का सच आपके सामने अभी और उजागर करना बाकी है..आगे यह भी देखना दिलचस्प होगा की मामले के संज्ञान में आने के बाद प्रदेश के वन मंत्री साहब एवं जिला के उच्च अधिकारियों का क्या एक्शन होता है।पिक्चर अभी बाकी है….