
रायगढ़। जिले में शरद पूर्णिमा के दिन वर्षों से बरकार प्रथा के अनुसार मानकेश्वरी देवी मंदिर में बैगा ने बकरों की बलि देकर उसका रक्त पान करने की यह अनोखी रीत चली आ रही है।
यहां मौजूद श्रद्धालुओं के मुताबिक, इस दिन बैगा के शरीर में देवी आतीं हैं और वो बलि दिए गए बकरों का खून पीती हैं। बलि की ये परंपरा करीब 500 साल से चली आ रही है जिला मुख्यालय से करीब 27 किमी दूर करमागढ़ में विराजी मां मानकेश्वरी देवी रायगढ़ राजघराने की कुल देवी हैं।
हर वर्ष शरद पूर्णिमा के दिन दोपहर के बाद यहां बलि पूजा शुरू की जाती है,श्रद्धालुओं के मुताबिक जिनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं,वे यहां बकरा और नारियल लाकर चढ़ाते हैं, ग्रामीणों की माने तो पहले 150 से 200 बकरों की बलि दी जाती थी, लेकिन कोरोना काल के बाद से इनकी संख्या करीब 100 तक हो गई है लोगों को यह दृश्य देखने की भारी भीड़ इकट्ठा होती है।




