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Cg News : नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता की याचिका खारिज…कोर्ट ने किया गर्भ गिराने से इंकार..सरकार को आदेश…उठाना होगा खर्च

◆ डाक्टरों ने 32 सप्ताह के गर्भ गिराने से किया इंकार….

बिलासपुर।दुष्कर्म की शिकार नाबालिग गर्भवती का हाईकोर्ट ने गर्भ समाप्त किए जाने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। याचिका खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि भ्रूणहत्या न तो नैतिक होगी और न ही कानूनी रूप से स्वीकार्य है पीड़िता को बच्चे को जन्म देना है राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि अस्पताल में भर्ती होने से लेकर सभी खर्च वहन करे। नाबालिग और उसके माता-पिता बच्चे को गोद देना चाहे तो सरकार कानूनी प्रावधानों के अनुसार बच्चे को गोद लेगी।

जानकारी देते चलें कि राजनांदगांव निवासी दुष्कर्म पीड़िता नाबालिग गर्भवती के अभिभावकों ने गर्भपात की अनुमति के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर किया। जस्टिस पार्थ प्रतीम साहू की कोर्ट ने विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम बनाकर रिपोर्ट पेश करने को कहा। 9 सदस्यीय विशेषज्ञों की  टीम ने जांच पड़डाल के बाद रिपोर्ट पेश किया। रिपोर्ट में बताया गया कि 20 सप्ताह का गर्भ समाप्त किया जा सकता है।

वर्तमान समय में पीड़िता 24 सप्ताह  से अधिक समय से गर्भवती है। ऐसे में गर्भ समाप्त’ करना स्वास्थ्य के लिए घातक हो सकता है। पीड़िता का सुरक्षित प्रसव कराया जाना उचित है। भ्रूण स्वस्थ्य है। किसी प्रकार की जन्मजात भी विसंगति नहीं है। मेडिकल रिपोर्ट में याचिकाकर्ता की गर्भावस्था की उम्र लगभग 32 सप्ताह है। डॉक्टरों ने बताया कि पीड़िता का सहज प्रसव की तुलना में गर्भसमाप्त करना अधिक जोखिम होगा।

रिपोर्ट आने के बाद हाईकोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि, जांच रिपोर्ट के अनुसार भ्रूण समय से पहले जीवन के अनुकूल है,किसी प्रकार की जन्मजात विसंगति भी नहीं है,गर्भावस्था समाप्त करने से सहज प्रसव की तुलना में अधिक जोखिम हो सकता है। कोर्ट ने दुहराया कि भ्रूणहत्या न तो नैतिक होगी और न ही कानूनी रूप से स्वीकार्य होगी गर्भावस्था की समाप्ति गर्भकालीन आयु सहज की तुलना में अधिक जोखिम पैदा कर सकती है।

कोर्ट ने गर्भावस्था का चिकित्सकीय समापन करने से इन्कार कर दिया गर्भावस्था जारी रखने का निर्देश दिया है,दुष्कर्म की शिकार नाबालिग पीड़िता को बच्चे को जन्म देना है राज्य सरकार को सभी आवश्यक व्यवस्थाएं करने और सब कुछ वहन करने का निर्देश भी दिया कोर्ट ने कहा कि यदि नाबालिग और उसके माता-पिता की इच्छा हो तो प्रसव के बाद बच्चा गोद लिया जाए राज्य सरकार कानून के लागू प्रावधानों के अनुसार आवश्यक कदम उठाएगी।

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