
रायगढ़/धरमजयगढ़। बहुचर्चित मामला जो कि भूमि खरीदी की फर्जी रजिस्ट्री का है,का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि ग्राम रूवाफूल थाना धरमजयगढ़ वर्तमान तहसील कापू की भूमि का वास्तविक भूमि स्वामी काशीराम था,जिसकी मृत्यु उपरांत खसरा नं. 124/1 में रकबा 1.200 हेक्टेयर भूमि को ग्राम गेरवानी क्षेत्र की वर्तमान सरपंच चमेली सिदार एवं सुरेश कुमार अग्रवाल एवं मनमोहन राठिया व अन्य द्वारा फर्जी दस्तावेज तैयार कर एवं कूटरचना कर फर्जी विक्रेता को खड़ा कर पंजीयन कार्यालय धरमजयगढ़ में उक्त भूमि खरीद ली गई, जिसकी जानकारी भूमि स्वामी के वास्तविक स्वामी के प्रार्थी श्रवण कुमार राठिया को होने से थाना धरमजयगढ़ में रिपोर्ट लिखाई गई, जिस पर आरोपीगण के विरुद्ध थाना धरमजयगढ़ पुलिस के द्वारा धारा 420, 467,468, 471, 120बी, भा.द.वि. का अपराध क्रं.- 75/2024 पंजीबद्ध किया गया।
जिसमें आरोपी अमित तिर्की आत्मज अगस्तुस तिर्की उम्र 33 वर्ष साकिन लक्ष्मीपुर थाना धरमजयगढ़ एवं संगीता नागवंशी पति स्व. संगीता नागवंशी उम्र 25 वर्ष,साकिन ग्राम सेंद्रीबहार हालमुकाम पाकरगांव,थाना पत्थलगांव जिला जशपुर छ.ग. को पुलिस के द्वारा गिरफ्तार किया गया और उन्हें न्यायिक अभिरक्षा में भेज गया था,किन्तु आरोपी चमेली सिदार एवं सुरेश कुमार अग्रवाल को पुलिस के द्वारा गिरफ्तार नही किया जा सका,इसके पश्चात राजीव कालिया अधिवक्ता के विधिक परामर्श से आरोपी सुरेश कुमार अग्रवाल अका. स्व. दुर्गा प्रसाद अग्रवाल उम्र 38 वर्ष, निवासी ग्राम गेरवानी, थाना पूंजीपथरा, जिला रायगढ़ छ.ग.के द्वारा अग्रिम जमानत हेतु आवेदन पत्र प्रस्तुत किया गया। माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर के द्वारा अभियुक्त सुरेश कुमार अग्रवाल की अग्रिम जमानत स्वीकार कर ली गई है ।
इस मामले में क्या कहना है वरिष्ठ वकील श्री राजीव कालिया का :-

आरोपी के अधिवक्ता राजीव कालिया का कहना है, कि भूमि के क्रय विक्रय संव्यवहार के फर्जी पंजीयन के प्रकरणों में वर्तमान में वृद्धि हुई है,जिसमें कुछ निर्दोष भी अभियोजित होने के द्वार में खड़े है, अधिकांशःऐसा इसलिए हो रहा है,कि क्रेता व गवाह,विक्रय विलेख निष्पादित करते समय कुछ सावधानियों पर अमल नही करते है, जैसे कि विक्रय विलेख में स्पष्ट वर्णित किया जाना चाहिए,कि कौन गवाह क्रेता पक्ष का है और कौन गवाह विक्रेता पक्ष का है,जबकि यह आवश्यक नहीं है कि एक गवाह सभी पक्षों की शिनाख्ती करें, किसी भी पक्ष को पहचानने के लिए एक गवाह पर्याप्त होता है, यदि क्रेता विक्रेता को व्यक्तिगत रूप से नही पहचानता है तो उक्त तथ्य का स्पष्ट उल्लेख विक्रय विलेख में होना चाहिए,और क्रय किए जाने योग्य भूमि की सभी जानकारी सीमावर्ती भूमि स्वामियों से प्राप्त कर लेना चाहिए, जल्दीबाजी में कभी भी भूमि क्रय नही किया जाना चाहिए ।
इस मामले में क्या तथ्य है घरघोड़ा पुलिस का :-
उक्त अपराध समाचार पत्रों में सुर्खियों में रहा है,पुलिस के द्वारा घरघोड़ा न्यायालय के समक्ष यह भी कहा गया है,कि सामान्य जाति के व्यक्ति सुरेश कुमार अग्रवाल के द्वारा भोले भाले आदिवासियों के प्रति अपराध किया गया है,और आरोपी के भाई जो कि तहसीलदार पत्थलगांव में पदस्थ रहा है,जिसके कारण आरोपी प्रशासकीय एवं राजनैतिक संरक्षक प्राप्त व्यक्ति है,आरोपी के द्वारा वर्तमान सरकार के जनप्रतिनिधियों से अपने बचाव करवा रहा है, एवं वर्तमान सरकार के विधायकों से फोन करवा रहा है।
क्या कहना है आरोपी का :-
किंतु प्रारंभ से आरोपी के द्वारा अपने को निर्दोष कहा जा रहा था।गांव का पंच होने के नाते विवादित विक्रय विलेख के राजस्व अभिलेखों पर विश्वास करते हुए व पहचान के लिए निर्धारित दस्तावेजों के आधार पर विक्रय विलेख पर हस्ताक्षर करना कहा जा रहा था, और किसी भी प्रकार का छल व कूटरचना से इंकार किया जा रहा था।
अब देखना होगा कि मामला पुलिस के तथ्यों पर स्थिर रहता है,या आरोपीगण की प्रबल निर्दोषिता की ओर अग्रसर होता है ।
