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भारत के फुटबॉल के इतिहास को पर्दे पर दर्शाती है फ़िल्म मैदान…कोच एस. ए.रहीम की सच्ची कहानी पर आधारित

देश/ स्पोर्ट्स। सच्ची घटना पर आधारित यह फ़िल्म उस समय के फुटबॉल खिलाड़ियों के अदभुत प्रदर्शन को रुपहले पर्दे पर प्रस्तुत करने की एक अच्छी कोशिश है जब भारत नियमित रूप से ओलंपिक और एशियाई खेलों दोनों में शामिल हुआ और अच्छा प्रदर्शन करने में सफल रहा। 1956 के ओलंपिक में भी भारत सेमीफाइनल तक पहुंचा था और जकार्ता एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता था।

मैदान फ़िल्म भी इस सूची में शामिल हो गया है। यह उस चीज़ का वर्णन करता है जिसे खेल इतिहासकार फ़ुटबॉल का स्वर्ण युग (1951-70) भी कहते हैं।

ओरिजनल फाइल चित्र

इस दौरान भारत नियमित रूप से ओलंपिक और एशियाई खेलों दोनों में शामिल हुआ और अच्छा प्रदर्शन करने में सफल रहा। 1956 के ओलंपिक भी भारत सेमीफाइनल तक पहुंचा था और जकार्ता एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता था,मैदान सैयद अब्दुल रहीम की सच्ची कहानी पर आधारित है जिन्हें इस स्वर्णिम काल के वास्तुकार के रूप में जाना पहचाना जाता है।

फिल्म की शुरुआत ओलंपिक में यूगोस्लाविया के हाथों भारतीय टीम की हार की कवरेज से होती है। कुछ ऑनलाइन दावों से पता चलता है कि उस समय की तत्कालीन सरकार प्लयेर के लिए ओलंपिक खेलों के लिए जूते उपलब्ध नहीं करा पाई थी जिसकी वजह से उन्हे नंगे पांव खेलना पड़ा था लेकिन वास्तव में, भारतीय टीम के कई खिलाड़ी नंगे पैर खेलने में अधिक सहज थे।

ओरिजनल फाइल चित्र

एसए रहीम शुरू से ही एक विश्व स्तरीय भारतीय टीम बनाना चाहते थे,उन्होंने भारतीय फुटबॉल को विश्व मानचित्र पर लाने के लिए खेल संघों की क्षुद्र राजनीति और संसाधनों की कमी का डटकर मुकाबला किया एवं फेडरेशन के निर्णय के बाद भी अपने जीवन के अंतिम क्षण में भारत देश को फुटबॉल का विश्व का सरताज बनाने में समर्पित कर दिया। 

निर्देशक अमित शर्मा ने इस यात्रा को बहुत अच्छे से लिखा है,उन्होंने संपूर्ण अनुभव देने के लिए कहानी कहने के संसाधनों का उपयोग किया है,वह खेल की बारीकियों को समझाने के लिए खेल कमेंटरी का उपयोग करता है जो फुटबॉल-अज्ञेयवादी दर्शकों के ध्यान से बच सकता।

खेल पर आधारित फिल्में दो महत्वपूर्ण तत्वों पर आधारित होती हैं – भावना (आम तौर पर एक प्रेरक भाषण), जो चरमोत्कर्ष से पहले आती है, और सिनेमैटोग्राफी,भावनात्मक शिखर को कुशलता से तैयार किया गया है और यह रहीम के चरित्र के प्रति वफादार रहता है जिसे एक आरक्षित व्यक्ति के रूप में दर्शाया गया है।

कलाकार: अजय देवगन, प्रियामणि, नितांशी गोयल, अभिनय राज सिंह,एवं अन्य कलाकारों के अभिनय से सजी धजी यह फ़िल्म दर्शकों को अत्यंत प्रभवित करती है।

एसए रहीम के रूप में अजय देवगन ने विश्वसनीय प्रदर्शन किया है,मृदुभाषी लेकिन आत्मविश्वासी चरित्र का उनका चित्रण अद्भुत है,जानेमाने संगीतकार ए आर रहमान ने अपने संगीत के साथ मनमोह लिया हैं, खासकर क्लाइमेक्स में, जो हर किसी की भावनाओं को झकझोर देता है,कुल मिलाकर, यह फिल्म साहसी प्रयास है जो कई स्पोर्ट्स प्रेमीयों को जरूर पसंद आयेगी किस तरह भारतीय खिलाड़ियों को देश में अन्य खेलों के सामने आने वाली चुनौतियों को किस प्रकार से सामना करना पड़ता है यह भी यह फ़िल्म दर्शाती है।

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