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पटवारियों के हड़ताल पर राज्य सरकार सरकार ने लगाया एस्मा.. पटवारियों ने कहा जारी रहेगा हड़ताल

रायपुर।छत्तीसगढ़ में 24 दिनों से काम बंद कर हड़ताल कर रहे पटवारियों के खिलाफ राज्य सरकार का कड़ा रुख सामने आया है। राज्य सरकार ने हड़ताल के खिलाफ एस्मा लगाया है। दूसरी ओर पटवारियों की एक बैठक में बुधवार को निर्णय लिया गया है कि जब तक मांगे पूरी नहीं होती हड़ताल जारी रहेगी।

एस्मा का आदेश जारी

राज्य सरकार के गृह विभाग ने एस्मा का आदेश जारी किया है। आदेश में कहा गया है कि  राज्य सरकार का यह समाधान हो गया है कि लोक हित में यह आवश्यक तथा समीचीन है कि राज्य में राजस्व विभाग के पटवारियों द्वारा 15 मई, 2023 से अनिश्चितकालीन हड़ताल में चले जाने के कारण शिक्षा सत्र चालू होने से एवं रिक्त पदों की भर्ती प्रक्रियाधीन होने से विद्यार्थियों को जाति, निवास, आय प्रमाण पत्रों को प्राप्त करने में कठिनाई हो रही है तथा कृषि कार्य के प्रारंभ होने के पूर्व ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि भूमि के सीमांकन/ बंटाकन / नामांतरण की कार्यवाही शासकीय योजनाओं के लाभ हेतु किया जाना आवश्यक होने जैसे महत्वपूर्ण कार्य एवं पटवारी प्रतिवेदन के अभाव में राजस्व न्यायालयों के कार्य भी प्रभावित होने से संबंधित अत्यावश्यक सेवा में कार्य करने से इंकार किये जाने का प्रतिषेध किया जाये।

तीन माह लागू रहेगी अधिसूचना

अतएव, छत्तीसगढ़ अत्यावश्यक सेवा संधारण तथा विच्छिन्नता निवारण अधिनियम, 1979 (क 10 सन 1979) की धारा 4 की उप-धारा (1) एवं (2) द्वारा प्रदत्त शक्तियों को प्रयोग में लाते हुए, राज्य सरकार, एतद्द्वारा, अनुसूची क-क के खंड (सात) “विभागाध्यक्ष तथा उनके अधीनस्थ कार्यालयों की सेवाओं में विनिर्दिष्ट अत्यावश्यक सेवा में, राजस्व विभाग के पटवारियों द्वारा, कार्य करने से इंकार किये जाने का प्रतिषेध करती है, जो आदेश जारी होने के दिनांक से आगामी 03 माह के लिए प्रभावी होगा।

इन मांगों को लेकर कर रहे हैं हड़ताल

छत्तीसगढ़ के राजस्व पटवारी  आठ सूत्री मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। इन लोगों ने 15 मई से कामकाज बंद कर हड़ताल पर हैं। पटवारियों की मांगे इस प्रकार हैं। वेतन विसंगति दूर करते हुए ग्रेड पे 2800 किया जाए। राजस्व निरीक्षक पद पर वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नित दी जाए। संसाधन एवं नेट भत्ता दिया जाए। महंगाई के अनुरूप स्टेशनरी भत्ता दिया जाए। पटवारी भर्ती के लिए योग्यता स्नातक किया जाए। मुख्यालय निवास की बाध्यता समाप्त किया जाए। बिना विभागीय जांच के प्राथमिकी(एफआईआर) दर्ज न किया जाए। 

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