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27 करोड़ के यूनीपोल घोटाले को लेकर नगर निवेश के दो अफसर पीडब्ल्यूडी विभाग में ही अटैच

यूनिपोल लगाने वाली कंपनी ने जैसा कहा अफसरों ने वैसा ही किया

रायपुर। नगर निगम में 27 करोड़ के यूनीपोल घोटाले के मामले में निगम कमिश्नर मयंक चतुर्वेदी ने नगर निवेश विभाग के एक बड़े और एक छोटे अधिकारी को मुख्यालय में ही पीडब्ल्यूडी विभाग में अटैच कर दिया है। जांच पूरी होने तक ये दोनों अधिकारी यहीं काम करेंगे। गड़बड़ी को लेकर निगम की यह पहली कार्रवाई है।

अधिकारियों ने 17 बिन्दुओं पर जांच समिति को जवाब सौंपा

राजधानी में करीब 27 करोड़ रुपए के यूनिपोल घोटाले में नगर निगम के अफसरों ने गुरुवार को 17 बिंदुओं पर अपना जवाब समिति को सौंप दिया। अफसरों के इस जवाब का विश्लेषण और प्रतिपरीक्षण करने के बाद समिति अगले 10 से 12 दिनों में फाइनल रिपोर्ट तैयार करेगी। इसके बाद दोषी अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू होगी। मेयर एजाज ढेबर ने अफसरों के जवाब पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि प्रारंभिक रूप से देखने पर जवाब सिर्फ खाना-पूर्ति लग रही है। कई बिंदुओं पर अफसर स्पष्ट जवाब ही नहीं दे रहे हैं। यह स्पष्ट है कि अफसरों ने यूनिपोल लगाने वाली कंपनी के कहने पर ही पूरा काम किया है। निगम में ऐसा पहली बार हुआ है। मेयर ने कहा कि इस पूरे मामले निगम के संबंधित अफसर सबसे ज्यादा दोषी हैं। कंपनी ने जैसा-जैसा प्रस्ताव दिया, उसे स्वीकार किया गया। नियम-कानून और शर्तों का भी ध्यान नहीं रखा गया। साइज क्यों बढ़ाई गई। इसका उनके पास कोई जवाब नहीं। अफसरों ने कहा कि तत्कालीन परिस्थिति के आधार पर निर्णय लिया गया। टेंडर के 11 नंबर कंडिका में यह स्पष्ट लिखा गया है कि साइज नहीं बढ़ाई जा सकती। 14 बाई 18 को अफसरों ने कंपनी के प्रस्ताव पर 18 बाई 18 कर दिया। अफसर यह भी नहीं बता पाए कि चार महीने में कंपनी को 51 बोर्ड की अनुमति कैसे दी गई। शास्त्री चौक में एक कंपनी का रेट 900 से 1100 रुपए प्रति वर्गफीट है जबकि वहीं पर दूसरी कंपनी का रेट 350 रुपए है। मेयर ने कहा कि दोपहर 12 बजे अफसरों ने जवाब दिया है। इसका विस्तृत अध्ययन करने के बाद क्रास चेक किया जाएगा और अफसरों से फिर से पूछताछ होगी। इसके बाद अंतिम रिपोर्ट तैयार की जाएगी। रिपोर्ट में जो भी दोषी पाया जाएगा, उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी। यही नहीं नगर निवेश और राजस्व विभाग में सालों से जमे अफसरों और कर्मचारियों में बड़ा फेरबदल किया जाएगा, ताकि इस तरह की गड़बड़ी दोबारा न हो सके। नगर निवेश विभाग के अध्यक्ष श्रीकुमार मेनन ने कहा कि इस मामले में अब शासन स्तर पर भी जांच चल रही है। हम जांच समिति को लिखकर देंगे कि नगर निगम ने इस मामले में अपने स्तर पर जांच की है।

शासन को फाइल मिली

यूनीपोल घोटाले में एक ओर जहां राज्य सरकार की कमेटी जांच कर रही है। तो, दूसरी ओर निगम की ओर से बनाई गई कमेटी की जांच भी जारी है। खबर है कि घोटाले से जुड़ी फाइल बुधवार को निगम ने शासन को भेज दी है। इधर, निगम द्वारा बनाई गई टीम का दावा है कि उन्हें अब तक घोटाले से जुड़े जरूरी दस्तावेज ही नहीं मिले हैं।

जसेरि की रिपोर्ट

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