
बलरामपुर।वाडरफनगर के सिविल अस्पताल में हुई मरीज की मौत पर CIDA अपनी संवेदना व्यक्त करता है। साथ ही एक गंभीर मरीज के समय पर प्राथमिक ईलाज के बावजूद मृत्यु पर डॉक्टरों एवम स्टॉफ के साथ हुई हिंसा और उसके बाद असामाजिक तत्वों द्वारा पैदा की जा रही बलवा की स्तिथि में निम्नांकित पांच बिंदुओं पर आपका ध्यान केंद्रित करना चाह रहा है। पेट की गंभीर बीमारियों का मुख्य शिकायत पेट दर्द ही होता है।
पेट में लीवर,किडनी,तिल्ली,अंतड़ी,अपेंडिक्स, अमाशय, ग्रासनली,पैंक्रियाज,गॉलब्लैडर आदि अंग होते हैं और हर एक अंग में कई सारी गंभीर बीमारी हो सकती है,जिसका मुख्य शिकायत पेट दर्द ही रहता है। इसलिए पेट दर्द को छोटी बीमारी मानना परिजनों की गलती थी,जिसकी वजह से मरीज को देर से अस्पताल में लाया गया,जिसके कारण मरीज की मौत होना प्रतीत होता है।
यह भी जानकारी दी गई है कि मृतक नशे का आदि था,नशे के आदि मरीजों में दर्द की अनुभूति कम हो जाती है और मरीज शरीर में होने वाली तकलीफों-बीमारियों और उसकी गंभीरता को सही से नहीं पहचान पाता है। नशा अपने आप में एक बड़ी बीमारी है। यह भी मृतक का मुख्य कारण हो सकता है। अगर लापरवाही का FIR दर्ज किया जाए,तो परिजनों पर इसे छोटी बीमारी मानने और देर से अस्पताल लाने पर किया जाना चाहिए। हो सकता है इसमें पारिवारिक लड़ाई या संपत्ति का मामला हो,ये तो पुलिस जांच से ही पता चल सकता है। मृतक नशे का शिकार किन परिस्थितियों में हुआ और मृतक के नशे का इलाज सही से क्यों नहीं कराया गया। ये भी एक पुलिस जांच का विषय है।
अतः हमारी आपसे विनती है कि इस प्रकरण में Medical Protection Act,332,353,152,189, 186,323, 336,355,504,506 की धारा के साथ साथ अराजक तत्त्वों के खिलाफ अराजकता और बलवा का प्रकरण भी दर्ज किया जाए। अगर वार्डरफनगर के डॉक्टर,नर्स और स्टॉफ के हिंसा के आरोपियों पर सख्त धारा लगाकर गिरफ्तारी नहीं की जाती है,तो CIDA को इनकी सुरक्षा के लिए खड़ा होना होगा और बहुत खेद और माफी के साथ संपूर्ण जिला,संभाग और राज्य स्तर पर आंदोलन करने बाध्य होना होगा।