
कोरबा। बरसात और व्यवस्था के बीच धान खरीदी की चुनौती, तात्कालिक उपाय पर ही निर्भर व्यवस्था
संपादकीय किसान की मेहनत पहले प्रशासन की तैयारी बाद में–यही है खेत से फाइल तक की कहानी। हर साल की बारिश प्रशासन की योजनाओं को धो देती है लेकिन सबक कोई नहीं लेता। योजना इस साल भर सोते रही लेकिन धान खरीदी आते ही गोदामों के दीवारों की याद आई।
फाइलें सरपट दौड़ने लगी हर साल की तरह फिर शुरू हुआ आखिरी वक्त में निर्माण का हल्ला कई तैयारी पर उठे सवाल,कोरबा जिले में धान खरीदी की पीला किस खेल रहे हैं भंडारण की समस्या समिति प्रबंधक झेल रहे हैं लेकिन जिला प्रशासन अपनी मनमर्जी में मस्त कोरबा जिले में हो रहा किसानों से किए वादे का हश्र।
समितियां में अभी पर्याप्त भंडारण स्थल नहीं है जिससे बीते बरसों की तरह इस बार भी खुले आसमान के नीचे बोले रखने की नौबत आ सकती है वहीं विभागीय अधिकारी किसे योजनागत भीम का हिस्सा बताते हुए समय पर काम पूरा होने का दावा कर रहे हैं।
कृषि विशेषज्ञों का मत है कि यह सिलसिला जब तक “मौसमी प्रबंधन” के बजाय स्थाई भंडारण नीति में नहीं बदलेगा तब तक किसानों को देखते धन और सरकारी दावों के बीच फंसे रहना पड़ेगा।