एमपी सीजी के बदले जायेंगे कांग्रेस अध्यक्ष आलाकमान ने दोनों राज्यों के इन नेताओं को किया है दिल्ली तलब…
Mp – Cg
मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी हार मिली है. जिसके बाद पार्टी आलाकमान दोनों ही राज्यों के प्रदेश अध्यक्ष और विधायक दल के नेताओं को बदलना चाहती है, मध्यप्रदेश कांग्रेस के मौजूदा अध्यक्ष कमलनाथ से पार्टी ने इस्तीफा का मांग किया है. वहीं सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार छत्तीसगढ़ में प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज भी इस्तीफा देंगे।
इस विधानसभा चुनाव में मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ को कांग्रेस को मिली करारी हार एवं विफलताओं देखे जाने के बाद से पार्टी आलाकमान ने दोनों ही राज्यों के प्रदेश अध्यक्ष और विधायक दल के नेताओं को बदलना चाहती है.इन सबके बीच मध्यप्रदेश में कांग्रेसी दिग्गजों के बीच नया अध्यक्ष बनाये जाने की दौड़ शुरू हो गई है. बता दें कि 8 दिसंबर यानी शुक्रवार को दिल्ली में पार्टी की एक बड़ी बैठक होने वाली है. जिसके लिए मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के बड़े नेताओं को दिल्ली तलब किया गया है।
फिलहाल एक बड़ी खबर आ रही है कि पार्टी प्रदेश के बड़े आदिवासी नेता उमंग सिंघार या जीतू पटवारी को नया प्रदेश अध्यक्ष बना सकती है.
आपको बताते चले की उमंग गंधवानी विधानसभा से 4 बार के विधायक और पूर्व मंत्री रह चुके हैं. हालांकि दिग्विजय सिंह के द्वारा उमंग सिंघार के नाम पर सहमती बनती नही दिखाई दे रही है। दिग्गी राजा की नाराजगी के मद्देनजर ही उमंग ने बुधवार को उनसे मिलकर माफी भी मांग ली है. उमंग ने कहा था-यदि मेरी किसी बात से आपको ठेस पहुंची है तो मैं आपसे माफी चाहता हूं।
ततपश्चात पूरी कहानी के बीच एक नया मोड़ आ गया है जिसमे यह कहा जा रहा है कि दिग्विजय सिंह अपने बेटे जयवर्घन को अध्यक्ष के तौर पर देखना चाहते हैं. दूसरी तरफ चुनाव में मिली हार के बावजूद जीतू पटवारी दौड़ में कायम हैं. ये भी कहा जा रहा है कि अर्जुन सिंह के बेटे अजय सिंह और अरुण यादव भी प्रदेश अध्यक्ष बनने की जुगत में हैं. अरुण यादव दो बार सांसद और केन्द्र में मंत्री भी रह चुके हैं. इन सब के बीच ये भी कहा जा रहा है कि खुद कमलनाथ विधायक दल का नेता बने रहना चाहते हैं।
हालांकि छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस में इतनी उठापटक नहीं दिख रही है. वहां भी दीपक बैज के इस्तीफे के बाद विधायक दल के नेता और अध्यक्ष का चुनाव होना है लेकिन यहां मध्यप्रदेश की तरह लॉबिंग नहीं हो रही है. बता दें कि 17 नवंबर को मध्य प्रदेश में 230 सीटों पर हुए विधानसभा चुनाव के नतीजे 3 दिसंबर को घोषित किए गए. जिसमें सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस को पछाड़ते हुए 163 सीटों पर जीत का बिगुल बजाया. वहीं कांग्रेस को सिर्फ 66 सीटों को जीतकर ही संतोष करना पड़ा एवं कांग्रेस को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा जिससे यह प्रतीत हो रहा है की यह सब देखते हुए पार्टी आलाकमान को कांग्रेस की साख को और ज्यादा मजबूत करने के लिए यह कदम उठाने की आवश्यकता पड़ रही है।