घोटालेबाजों की शरणस्थली बना शिक्षा विभाग.. शासन को लाखों का चूना लगाने वाले पूर्व BEO को इसी पद पर नए जिले में कर दिया गया तबादला…
रायपुर। छत्तीसगढ़ में शासन के समस्त विभागों में स्कूल शिक्षा विभाग ही ऐसा बिरला है जहां घोटालेबाज शिक्षकों और अफसरों की सालों-साल जांच चलती रहती है, और कार्रवाई की बजाय उल्टे इन्हे उपकृत किया जाता है। एक दिन पूर्व ही TRP NEWS ने कोरबा जिले के जिस पूर्व BEO की गड़बड़ियों की फेहरिश्त लगाई थी, उन्हें दूसरे जिले में BEO के पद पर ही तबादले पर भेज दिया गया है।
स्कूल शिक्षा विभाग के अवर सचिव आर पी वर्मा के हस्ताक्षर से शिक्षा विभाग के अधिकारियों का तबादला आदेश जारी किया गया है। जिसमें 5 वें क्रम में लोकपाल जोगी के नाम का उल्लेख है, जिन्हें बिलासपुर जिले के तखतपुर ब्लॉक में BEO के पद पर स्थानांतरण किया गया है। इस आदेश पर अगर नजर डालें तो जोगी की वर्तमान पदस्थापना स्थल पोड़ी-उपरोड़ा में BEO के पद पर बताया गया है, जबकि वे कलेक्टर के आदेश पर वर्तमान में पाली ब्लॉक में बालक पूर्व माध्यमिक शाला, पाली में प्राचार्य के पद पर अटैच हैं।
छः माह से कार्रवाई की हो रही प्रतीक्षा
कोरबा जिले के पोड़ी-उपरोड़ा ब्लॉक के एक विद्यालय में प्राचार्य के पद पर रहते हुए लोकपाल जोगी को BEO के पद पर पदस्थ किया गया था। इस पद पर रहते हुए उनके ऊपर गड़बड़ियों के कई आरोप लगे। जिसके बाद उनकी संयुक्त संचालक (शिक्षा) बिलासपुर और AG स्तर पर जांच भी की गई और शिक्षा विभाग मुख्यालय को प्रतिवेदन भेज दिया गया, मगर छः महीने बाद भी अब तक कोई भी कार्रवाई जोगी के खिलाफ नहीं की गई, उल्टा उन्हें उपकृत करते हुए BEO के पद पर ही दूसरे जिले में भेज दिया गया। कहा जा रहा है कि उनके घोटालों पर पर्दा डालने के लिए ऐसा किया गया है।null
बता दें कि लोकपाल जोगी ने पोड़ी-उपरोड़ा ब्लॉक में अपने कार्यकाल के दौरान हाईस्कूल पसान में पदस्थ भृत्य बहादुर राम कोरवा, जो लगातार 79 महीने याने 2220 दिन तक अनुपस्थित रहा। अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर उसकी पूरे 79 महीने की छुट्टी स्वीकृत कर दी, और इतने महीनों का वेतन 13 लाख 57 हजार रुपए एक ही दिन में आहरण करने का आदेश दे दिया।
पूर्व BEO लोकपाल जोगी ने 9 साल से गैरहाजिर प्राथमिक शाला सिकटापारा में पदस्थ रहे सहायक शिक्षक विष्णु कुमार बिंझवार को इसी वर्ष 20 जनवरी को पुनः उसी विद्यालय में डयूटी ज्वाईनिंग का आदेश दे दिया। एक अन्य मामले में प्राथमिक शाला मिसिया से 2018 से अनुपस्थित शिक्षिका शिखा राय की 10 जनवरी 2022 को ज्वाइनिंग का आदेश भी जोगी ने जारी कर दिया। कुछ अन्य शिक्षकों के अवकाश को भी गलत तरीके से स्वीकृत करने के बाद उन्हें भुगतान किया गया। इन गड़बड़ियों की जांच तो हो चुकी है, मगर कार्रवाई अब तक नहीं हो सकी है। ऐसा क्यों, इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।
मुख्यालय नहीं भेजी जाती है जानकारी
लोकपाल जोगी के खिलाफ हुई जांच के संबंध में DEO कोरबा जीपी भारद्वाज से एक मुख्य समाचार पत्र के संवाददाता ने संपर्क किया तब उन्होंने बताया कि लोकपाल जोगी के खिलाफ जांच JD स्तर पर हो चुकी है, इसलिए जिला स्तर पर फ़िलहाल कोई जांच नहीं हो रही है, वहीं मुख्यालय से किसी तरह की कार्रवाई का भी कोई आदेश नहीं है। उन्होंने बताया कि जोगी को पाली के स्कूल में प्राचार्य के पद पर केवल अटैच किया गया था, उनकी वर्तमान पदस्थापना BEO पोड़ी-उपरोड़ा के पद पर ही थी। मगर क्या कलेक्टर द्वारा जोगी को अटैच किये जाने की जानकारी मुख्यालय भेजी गई थी, इस सवाल पर भारद्वाज ने कहा कि इस तरह की जानकारी नहीं भेजी जाती है। उनकी बातों से साफ है कि जिला स्तर पर होने वाली अनियमितताओं की जानकारी मुख्यालय भेजी ही नहीं जाती है। हालांकि इतने बड़े घोटाले की जांच के बाद कोई कार्रवाई नहीं करने के पीछे मुख्यालय की भूमिका भी स्पष्ट नजर आ रही है, जहां जांच रिपोर्ट पड़ी हुई है और कार्रवाई की बजाय मेहरबानी की जा रही है।
बहरहाल लोकपाल जोगी का तबादला हो चुका है, और वे कोरबा जिले से रिलीव होने की जुगत में लग गए हैं, मगर उन्होंने शासन को जो लाखों का चूना लगाया है, उसका क्या होगा यह सवाल अब भी बरक़रार है।
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